Hindi grammar-स्वर-व्यंजन(Swar and Vyanjan)-How many Types of वर्ण(varn) in Hindi?

Hindi grammar-स्वर-व्यंजन(Swar and Vyanjan)-How many Types of वर्ण(varn) in Hindi?
Hindi grammar-स्वर-व्यंजन(Swar and Vyanjan)-How many Types of वर्ण(varn) in Hindi?

स्वर-व्यंजन Vowels and consonants-

वर्ण के भेद-

वर्ण के मुख्यतः दो भेद माने गए हैं – १ स्वर , २ व्यंजन।

1- स्वर – वह वर्ण जिनके उच्चारण के लिए किसी दूसरे वर्णों की सहायता नहीं पड़ती उन्हें वर्ण कहते हैं। हिंदी वर्णमाला के अनुसार स्वर की संख्या 13  है।

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स्वर तीन प्रकार के होते हैं|

ह्रस्व स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में बहुत कम समय लगता है उसे हर स्वर्ग कहते हैं जैसे – अ ,इ ,उ ,।

दीर्घ स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व व स्वर से दुगना समय या अधिक समय लगता है उसे दीर्घ स्वर कहते हैं जैसे -आ , ई ,ऊ ,ऋ ,लृ ,ए ,ऐ ,ओ ,औ।

प्लुत स्वर – इस स्वर के उच्चारण में ह्रस्व स्वर से तीन गुना समय लगता है। इसलिए इसके आगे तीन का अंक लिख दिया जाता है जैसे – ओउम्।

2-व्यंजन – जिन वर्णों के उच्चारण में स्वरों की सहायता ली जाती है उन्हें व्यंजन कहते हैं। व्यंजन का उच्चारण बिना स्वर के संभव नहीं है। इनके उच्चारण में मुख्य से निकलने वाली वायु में रुकावट होती है।

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व्यंजन के भेद

स्पर्श व्यंजन – ‘क’ से लेकर ‘म’ तक के वर्ण स्पर्श व्यंजन कहे जाते हैं। सभी स्पर्श व्यंजन पांच वर्गों के अंतर्गत विभाजित हैं। प्रत्येक वर्ग का नाम पहले वर्ण के आधार पर रखा जाता है।

क वर्ग – क , ख , ग , घ , ङ

च वर्ग – च , छ , ज , झ , ञ

ट वर्ग – ट , ठ ,ड़ ,ढ ण

त वर्ग – त ,थ , द , ध ,न

प वर्ग – प , फ ,ब ,भ ,म

अंतःस्थ व्यंजन – यह स्वर और व्यंजन के मध्य स्थित होता है इसकी संख्या चार मानी गई है। – य ,र ,ल ,व्

ऊष्म व्यंजन – इसके उच्चारण में मुंह से गर्म स्वास निकलती है इनकी संख्या चार है – श , ष ,स ,ह।

उत्क्षिप्त व्यंजन – इन वर्णों के उच्चारण में जीभ ऊपर उठकर झटके के साथ नीचे गिरता है यह दो माने गए हैं – ड़ ,ढ।

3-संयुक्त व्यंजन – 


क् + ष = क्ष, – क्षत्रिय, क्षमा,

त् + र = त्र, – त्रस्त, त्राण, त्रुटि

ज् + ञ = ज्ञ, – ज्ञानी, यज्ञ, अज्ञान,

श् + र = श्र – श्रीमान, श्रीमती, परिश्रम, श्री,

4-अरबी फारसी के वर्ण – फ़ ,ख़ ग़ ,ज़ ,आदि 


अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

  • जब किसी स्वर का उच्चारण नासिका और मुख से किया जाता है तब उसके ऊपर चंद्र बिंदी लगाया जाता है।
  • अनुस्वार का उच्चारण(न् ,म्) के समान होता है इसका चिन्ह बिंदी आकार होता है जैसे – मंगल , जंगल , हंस आदि।
  • विसर्ग (:) का उच्चारण हो के समान होता है जैसे – अतः, दुखः

 

वर्णों के उच्चारण का स्थान


वर्णों के उच्चारण के समय जीभ की स्थिति बदलती रहती है। प्रत्येक वर्ण के उच्चारण में जीभ की स्थिति में परिवर्तन होता रहता है।  इन स्थानों को उच्चारण स्थान कहते हैं।

उच्चारण का स्थान                वर्ण का स्थान

कंठ्य                              अ , क वर्ग , ह और विसर्ग

तालु                              इ , च वर्ग , य और श

मूर्धा                             ऋ ,ट वर्ग , र और ष

दन्त                             लृ , त वर्ग , ल , स

ओष्ठ                             उ , प वर्ग

नासिका                     ड़ , ञ , ण , न , म

दन्त और ओष्ठ             व

कंठ और तालु             ए , ऐ

कण्ठ और ओष्ठ             ओ , औ



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